अब के बरस बारिश की बूंदे
बाज़ार के चावल से महंगी है |
भीगना चाहो या न चाहो,
बीमार पड़ने पर खर्चे का डर बना ही रहेगा |
अब तो सारा शहर महंगाई में डूबेगा,
हर कोई बारिश से भीगेगा,
गरीबी या अमीरी से इसका
कोई नाता नहीं,
हर जाति और धर्म को भिगोयेगा |
उफ ये बारिश...
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