साहित्य का मुरीद हूँ ...कुछ लिखना चाहता हूँ ... बहुत कुछ पढ़ना अभी बाकी है ...
परिचित
अपरिचित
व्यक्तित्व में धुंध है ।
समृद्ध
दीन
पहनावे में धुंध है ।
सामाजिक
असामाजिक
सोच में धुंध है ।
एक क्षितिज से दूसरे क्षितिज तक
धुंध ही धुंध है ।
धुंध ही अब जीवन है ।