फ़ॉलोअर

गुरुवार, अप्रैल 08, 2021

एक और दिवस

भाइयों और बहनों ! 

शब्द मात्र नहीं ,

गूँज है हवाओं में 

आओ मनाते हैं योग दिवस।

भूल जाओ,

उस बात पर, ध्यान मत दो 

जहाँ एक किसान पेड़ से लटक रहा है, 

वो शायद मरा नहीं है, 

ध्यान कर रहा है । 

भाइयों और बहनों !

आओ शुद्ध करे मन को ,

आँखों को मूँद लो दो उँगलियों से 

आहिस्ता-आहिस्ता सांस लो,

फसल बाढ़ से खराब हो गई, 

ये ध्यान में न आए 

शांति और गहन शांति 

योगमय वातावरण में 

ज़ोर-ज़ोर से हँसो 

हा हा हा हा हा हा  

एक बार और 

हा हा हा हा हा हा  । 

योगाभ्यास पर बैठा एक पुरुष बताता है,  

कल एक किसान बाढ़ से 

अपने जान से अजीज खेत को बचाते-बचाते योग सीख गया 

और बाढ़ का पानी फसल पर हावी हो गया । 

यह सब देख 

बेचारा किसान योगी दम तोड़ दिया, 

शायद सदमें से और हृदय गति रुकने से 

खैर, भाइयों और बहनों 

गहरी साँस ले और धीरे-धीरे छोड़े ।

मन का विकार दूर करें ,

चंद मिनट का शोक करेंगे 

हमारे किसान भाई के लिए, 

फिर योगाभ्यास में लौटेंगे  । 

रंग बिरंगी योग मैट का मोल ज्यादा है 

और किसान का मोल योग मैट जैसा 

उसे भूल जाओ, 

उस पर बैठ जाओ 

और योग करो, भाइयों और बहनों । 

एक बार फिर हँसेंगे

हा हा हा... हा हा हा ।