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बुधवार, अगस्त 31, 2011

सुशासन की राह में आने वाली चुनौतियों से निपटने में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की भूमिका (Role of CAG in Meeting Challenges of Good Governance)

एक अच्छे सरकार के लिए यह जरूरी होता है की उसके कार्य-सूची का हर एक पहलु उन्दा किस्म का हो | सवाल है भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की सुशासन से जुडी चुनौतियाँ जो हर बैठक में उठाई जाती है | यह भारत की सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था के रूप में १५० सालों से अस्तित्व में है | श्री विनोद राय ने दिनांक 7 जनवरी 2008 को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के रूप में कार्य भार ग्रहण किया और तीन सालों से वे इस जिम्मेदारी को निभा रहें है | नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है | जैसा कि अनुच्छेद १५१ के अनुसार नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा लेखा परीक्षा राष्ट्रपति या राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है |अच्छे शासन हेतु चुनौतियाँ निम्नलिखित है -१. लेखा परीक्षा सम्बंधित त्रुटियों को दूर करना |
२. विनियोजन सम्बंधित लेख और वित्तीय लेखों (जैसे- वित्तीय अनियमितता, घाटा, वित्तीय चोरी, खर्चों का नुकशान और बचत एवं दिन पर दिन हो रहे राष्ट्रीय घोटाले जैसे- कामन्वेल्थ गेम्स) में मौजूद अशुद्धियों को सही माध्यम के सहारे दूर करना |
३. समस्त संगठनों में किये गए लेखा परीक्षा की जांच द्वारा प्राप्त निरीक्षण प्रतिवेदनों की सही तरीके से जांच | इतनी बड़ी जिम्मेदारी का पालन नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा किया जाता है जो की सराहनिए है |
४. इसे भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा का मुखिया के रूप में जाना जाता है जिसके ऊपर ६०,००० के आस-पास कर्मचारियों के देखभाल की जिम्मेदारी होती है |
५. संघ और राज्य का लेखा विवरण भी कैग को रखना पड़ता है | ६. सरकारी कर्मचारियों द्वारा जो आवेदन जमा किये जाते हैं उसे जाँच करने का कार्य भार कैग को सौंपा जाता है | साथ ही नियम-कानून के साथ उस आवेदन का निर्वहन हुआ है कि नहीं ये भी देखना पड़ता है | इसके अलावे विधानसभा की और से यह देखने की जिम्मेदारी भी सौंपी जाती है की सरकारी नियमानुसार उस आवेदन का कार्य हो रहा है या नहीं |
८. राजस्व की लेखा परीक्षा में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है | आयकर, केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क, बिक्री कर आदि के रूप में कर निर्धारण की लेखा परीक्षा कैग द्वारा ही संभव हो पाता है | वाह्य कर के कामकाज में अधिनियम / नियम के खामियों की ओर इशारा कर बेहतर कर प्रशासन की बुनियाद डाली जा सकती है |
९. चार्टर्ड एकाउंटेंट्स सरकारी कंपनियों के वार्षिक लेखा को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक हैं | वाणिज्यिक उद्यमों की लेखा परीक्षा भी कैग के दाएरे में आते है |
१०. कंपनी अधिनियम १९५६ की धारा ६१९ के अंतर्गत सरकार कंपनी, सीएजी द्वारा नियुक्त सहित कंपनियों के खातों की लेखा परीक्षा भी आयोजित करता है जिसके जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की उत्तम कार्य - प्रणाली तैयार हो सके |११. शिक्षा और विकास के क्षेत्र से जुड़े अनेकों स्वायत्त निकायों की लेखा परीक्षा कैग द्वारा की जाती है| ताकि उस विशेष निकाय के त्रुटियों को दूर किया जा सके |
१२. छह सांविधिक निगमों की लेखा परीक्षा कैग द्वारा आयोजित की जाती है - जिसमे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, दामोदर घाटी निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, भारतीय खाद्य निगम और केन्द्रीय भण्डारण निगम इत्यादि शामिल है | कैग की इन निगमों में अतुलनिए योगदान है |
१३. सामाजिक - आर्थिक कार्यक्रमों (जैसे- सर्वशिक्षा अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, मध्याह्न भोजन योजना, त्वरित ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) में लेखा परीक्षाओं की अहम् भूमिका रही है लेकिन चुनौती आगामी दिनों में भी इसी मान दंडों को आधार बनाते हुए उसे पूरा करने में है |
१४. यह सार्वजनिक क्षेत्रों जैसे - उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, अपशिष्ट प्रबंधन, राज्यों में पुलिस आधुनिकीकरण योजना, सीएजी सरकारी विभागों, कार्यालयों और एजेंसियों की लेखा परीक्षा करके काफी प्रगति पर है |
१५. संघ और राज्य दोनों लेखा परीक्षा कैग के नियंत्रण में रहते है जहाँ सिविल, वाणिज्यिक और प्राप्तियाँ सम्बंधित दस्तावेज जांच किये जाते है |
उपर्युक्त तमाम कथनों का पालन नियंत्रक और महालेखापरीक्षक द्वारा किया जाता है जो अपने आप में एक अनूठा योगदान है | यह महज चुनौती नहीं है बल्कि सुशासन प्रणाली का रक्षा कवच है | नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा जितने कार्यों का वहन किया जाता है उसका एक मात्र सशक्त उद्देश्य है भारत की सरकार को लेखा परीक्षा के आधार पर पूर्ण रूप से सक्षम और त्रुटीहीन बनाना | बात है हमारे उस संविधान की जो इतने मानदंडो पर टिका हुआ है की उसे बरक़रार रखने के लिए इस सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था को अपना उन्नत कार्य दिखाना होता है | कामनवेल्थ खेलों में हुए घोटाले ने कैग के ऊपर सवालिया निशान जरूर लगा दिया मगर यह समझना बिलकुल गलत होगा की कैग ने आँखें मूँद ली है | वह पूरे प्रयास में है की आखिर गलती कहाँ है | अपने सीमाओं (कार्यकारिणी के संयम, उसके बजटीय स्वायत्तता, कर्मचारियों पर नियंत्रण, संघ के वित्त मंत्रालय और लेखांकन कर्तव्यों से निपटने के लिए राज्य सरकार के वित्त विभाग के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जवाबदेही, संसद से शासकीय संचालन में अपने बचाव में सीधी पहुँच की कमी ) के बावजूद भी कैग की भूमिका में वो कमी नहीं दिखी जिससे यह लगे की महालेखापरीक्षक अपने जिम्मेदारियों को सही से नहीं निभा रहे हैं | कभी-कभी कोई लेखा परीक्षक जब अहम् नियमों एवं विनियमों के अभाव में कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जो आगे चलकर कार्य प्रणाली के लिए सिर दर्द बनकर रह जाता है तो ऐसे गलतियों का निवारण सही प्रशिक्षण के माध्यम से हीं संभव है | संसद स्तर पर जब कोई पूछताछ कैग से की जाती है तो अप्रत्यक्ष जवाबदेही के कारण सही मामले का खुलासा नहीं हो पाता है | पूरे देश के तमाम सरकारी, गैर सरकारी, सरकारी उपक्रमों, राज्य स्तर पर स्थापित विभागों एवं अन्य कई संस्थाओं और विभागों में लेखा परीक्षा की त्रुटियों पर कैग की हमेशा नज़र रहती है | जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव वार्षिक निष्पादन रिपोर्ट में देखने को मिलती है | राज्य एवं केंद्र सरकार द्वार हर बड़े आयोजन पर महालेखापरीक्षक द्वारा रिपोर्ट बनाई जाती है जो एक सुशासन का ढांचा तैयार करती है | आज के इस आधुनिक दौर में भी कैग के समक्ष चुनौतियों की कमी नहीं है | दिनों दिन भ्रष्टाचार का क्षेत्र फैलता जा रहा है और कैग के लिए उपयुक्त कार्य-प्रणाली पर चलना कठिन हो गया है कि अराजकता के बाद भी महालेखापरीक्षक स्वतंत्रता, विश्वसनीयता, पारदर्शिता, विषयनिष्ठा, व्यावसायिकता, सकारात्मकता और सत्यनिष्ठा पर कायम है | सरकारी लेखा मानकों सलाहकार बोर्ड (गसब) एक ऐसा माध्यम है जो अपने अनुपम मानक कार्यों और सलाहकारी बैठकों से निरंतर अपने खामियों से मुक्त होने के उपाय ढूंढता रहता है | निष्पादन, वित्तीय और अनुपालन लेखा परीक्षा कैग की देन है जो हर चुनौती का सामना काफी सजगता और सरलता से करता है |

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