साहित्यिक डायरी
साहित्य का मुरीद हूँ ...कुछ लिखना चाहता हूँ ... बहुत कुछ पढ़ना अभी बाकी है ...
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रविवार, जुलाई 10, 2011
घुटन
घुटन उस अन्धे कुँए, गहरी खाई,
लम्बी सुरंग और ऊँची चोटी
जैसी है,
जहाँ सिर्फ और सिर्फ बेचैन मानव के
भीड़ है |
देखना चाहो तो अँधेरा है,
झाँकना चाहो तो गहरा है,
मापना चाहो तो लम्बी है ,
और चढ़ना चाहो तो ऊँची है |
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