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शनिवार, दिसंबर 04, 2010

संकल्प

क्या, बारिश ने तुम्हे भिगोया है ?
नहीं ! तो अपने कपडे क्यों उतार रहे हो,
अरे भाई, वर्षा का जल है...
कोई विष तो नहीं
तो, इसे पी क्यों नहीं रहें हो ?

तुम डरपोक नहीं हो, मुझे पता है
पर तुम साहसी भी तो नहीं,
कायरता के लेप क्यों लगाये हो ?
किसने डराया है तुम्हे?
अगर किसी ने नहीं , तो फिर काँप क्यों रहें हो ?

आग को तो तुम छू नहीं सकते,
तो फिर तुम्हारे हाथ क्यों सूजे हुए है ?
तुमने दलदल की और कदम नहीं बढ़ाये तो फिर
ये कीचड़ कहाँ से आए...

जवाब दो अब खुद को...कि तुम्हारा संकल्प कैसे टूट गया ?

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