बिना मतलब के शोर करने वाले लोग मुझसे दूर रहें,
क्योंकि मै इस ''भीड़'' में हूँ जरुरमगर एक बात
हाँ, एक बात
मै दिल और दिमाग
जी नहीं-
केवल दिमाग के आवाज़ से साफ़ कर देना चाहता हूँ
कि, मै इस ''भीड़'' के साथ नहीं
मेरी आवाज़ शायद आपको सुनाई न दे,
और न ही समझ में आए ?
लेकिन ,अपने आस पास के बेमत्लाबी शोर से उभरकर,
उससे निकलकर मुझे सुने,
मै समझ में आऊंगा,
और तब आपकी भीड़ भी अर्थपूर्ण बनेगी...
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