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सोमवार, मार्च 18, 2019

तुम्हारे साथ

तुम्हारे साथ
शहर को शहर पाता हूँ
जो ख़्वाब अधूरे थे उसे पूरा पाता हूँ।
समुद्र में उठती लहरें,
एक अलग वेग में पाता हूँ।
रेत पर बिखरे सपनों को
शहर के रंग बिरंगे लोगों से
भरा पाता हूँ।
हवा में रस्सी पर खड़ी
वह लड़की शहर को अपना रोमांचक खेल दिखा रही है।
बिक रहे खिलौने से शहर को
सुन पाता हूँ।
तुम्हारा हाथ पकड़कर
रेत में भी खुद को तेज पाता हूँ।
शहर की सड़कों पर तुम्हारे साथ,
मानो वर्षों से इसे जानता हूँ।
तुम्हारे साथ..
शहर एक उत्सव से कम नहीं।
लोग कितने परिचित से जान पड़ते हैं।
बटरफ्लाई ब्रिज से गुजरना ऐसा एहसास दिलाता है,जैसे
हम तितली हैं शहर के।
तुम्हारे साथ ..
यह शहर उतना ही मधुर है
जितना
ये शब्द 'तमिल'...
तुम्हारे साथ...
शहर को एक किताब सा पाता हूँ।
जिसे हर रोज पढ़ता हूँ
और हर बार एक नया पन्ना जुड़ जाता है।
तुम्हारे साथ ...
शहर को नक्शे पर नहीं,
तुम्हारी आँखों में पाता हूँ।
तुम्हारे साथ..

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