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सोमवार, मार्च 18, 2019

मैं उस जगह खड़ा हूँ

मैं उस जगह खड़ा हूँ
जहाँ से मैं देख पा रहा हूँ
एक मिडिल क्लास का संघर्ष
अपने ख्वाहिशों के लिए
बिलखता हुआ जी रहा।
कभी अपने बच्चों के बहाने,
तो कभी अपने अर्धांगिनी के वास्ते।
कभी उस बूढ़े माता-पिता के लिए
जो कभी हवाई यात्रा का सुख नहीं भोग सके।
कभी किसी अच्छे रेस्तरां में बैठकर व्यंजनों का लुत्फ नहीं उठाए।
जिसने कभी महंगे कोर्ट पैंट में सेल्फी न लिया अपनो के साथ।
जिसने कभी 2बी एच के फ्लैट का सुख ना भोगा।
हर रोज अखबार का विज्ञापन देख,जो संतोष कर लेता है।
पर फिर भी हार नहीं मानता।
लेकिन वे अपने ख्वाहिशों से हर रोज हारते हैं।

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